ओम शुद्धि दाता गंगा माता नमो नमो
वामन पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन रूप में अपना एक पैर आकाश की ओर उठाया तो तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के चरण धोकर जल को अपने कमंडल में भर लिया। इस जल के तेज से ब्रह्मा जी के कमंडल में गंगा का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी ने गंगा हिमालय को सौंप दिया इस तरह देवी पार्वती और गंगा दोनों बहन हुई। इसी में एक कथा यह भी है कि वामन के पैर के चोट से आकाश में छेद हो गया और तीन धारा फूट पड़ी। एक धारा पृथ्वी पर, एक स्वर्ग में और एक पाताल में चली गई और गंगा त्रिपथगा कहलाईं मां गंगा का जन्म वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि के दिन माना जाता है। इस बार यह तिथि आज यानी कि 18 मई को थी।
पुराणों में देवी गंगा के जन्म कई कथाएं मिलती हैं। साथ ही इनमें गंगा के स्वर्ग से पृथ्वी पर आने का रहस्य भी बताया गया है। यही नहीं देवी गंगा के मनुष्य रूप में प्रेम की भी अत्यंत रोचक कथा मिलती है। जो यह दर्शाती है कि गंगा की अविरल धार न केवल तन-मन को पवित्र करती है बल्कि यह प्रेम का संचार भी करती है।
ओम शुद्धि दाता गंगा माता नमो नमो
वामन पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन रूप में अपना एक पैर आकाश की ओर उठाया तो तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के चरण धोकर जल को अपने कमंडल में भर लिया। इस जल के तेज से ब्रह्मा जी के कमंडल में गंगा का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी ने गंगा हिमालय को सौंप दिया इस तरह देवी पार्वती और गंगा दोनों बहन हुई। इसी में एक कथा यह भी है कि वामन के पैर के चोट से आकाश में छेद हो गया और तीन धारा फूट पड़ी। एक धारा पृथ्वी पर, एक स्वर्ग में और एक पाताल में चली गई और गंगा त्रिपथगा कहलाईं मां गंगा का जन्म वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि के दिन माना जाता है। इस बार यह तिथि आज यानी कि 18 मई को थी।
पुराणों में देवी गंगा के जन्म कई कथाएं मिलती हैं। साथ ही इनमें गंगा के स्वर्ग से पृथ्वी पर आने का रहस्य भी बताया गया है। यही नहीं देवी गंगा के मनुष्य रूप में प्रेम की भी अत्यंत रोचक कथा मिलती है। जो यह दर्शाती है कि गंगा की अविरल धार न केवल तन-मन को पवित्र करती है बल्कि यह प्रेम का संचार भी करती है।
नमः पार्वते पतये हर हर महादेव ...
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